Krishi Jankari

अंगूर की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी।

नमस्कार किसान साथियों! यदि आप अंगूर की खेती करना चाहते हैं, तो आज यहां पर हम आपको अंगूर की खेती के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे। अंगूर एक ऐसा फल है, जिसकी डिमांड मार्केट में तेजी के साथ देखने को मिलती है। अंगूर कई प्रकार के पौष्टिक तत्वों से भरपूर और खटेपन के साथ एक बेहद ही स्वादिष्ट फल माना जाता है। इसी कारण ज्यादातर लोग अंगूर की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।

आप भी अंगूर की खेती करके सालाना 10 से 15 लख रुपए तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं। अंगूर की खेती करना बेहद ही आसान और फायदेमंद है। यहां पर हम आपको अंगूर की खेती के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे जिसको आपके लिए जानना बेहद ही आवश्यक है।

तो आईए जानते हैं अंगूर की खेती के बारे में संपूर्ण जानकारी।

अंगूर की खेती का महत्व और फायदे!

अंगूर की खेती करना लाभकारी माना जाता है। क्योंकि अंगूर की खेती आर्थिक लाभ, स्वास्थ्य के लाभ और प्राकृतिक संरक्षण से भरपूर है। अंगूर की खेती करके आप अंगूर को बाजार में बिक्री कर सकते हैं, नई तकनीको का उपयोग करके अंगूर की अधिक पैदावार के कारण आप अच्छी कमाई कर सकते हैं।

वही बात करें तो अंगूर स्वास्थ्य के लिए बेहद ही लाभकारी माना जाता है, क्योंकि इसमें विटामिन खनिज और फाइबर्स जैसे तत्वों का संरक्षण देखने को मिलता है। प्राकृतिक संरक्षण के रूप में अंगूर की खेती भूमि के लिए बेहद ही उपयुक्त मानी जाती है, क्योंकि यह भूमि की उर्वरक क्षमता लंबे समय तक बनाए रखती है।

पर्यावरण संबंधी लाभ भी अंगूर की खेती के करण देखने को मिलते हैं, वही अंगूर की खेती यदि एक एकड़ में करना चाहते हैं, तो अंगूर की खेती से आपको एक एकड़ से लगभग 1000 से 1300 किलोग्राम अंगूर की पैदावार देखने को मिलती है। इसकी बिक्री से आपको आर्थिक लाभ देखने को मिलेगा।

जानिए:- जैविक खेती की पूरी जानकारी | Organic Farming

अंगूर की खेती कैसे करें

यदि आप अंगूर की खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको विभिन्न महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। नीचे दी गई जानकारी में अंगूर की खेती में प्रयुक्त होने वाली संपूर्ण जानकारी और तकनीक के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। अंगूर की खेती में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक ध्यान रख सकते हैं।

भूमि का चयन और भूमि तैयार –

किसी भी फसल की बुवाई से पहले भूमि का चयन और भूमि की तैयारी बेहद ही महत्वपूर्ण कार्य है। यदि आप अंगूर की खेती के लिए भूमि तैयार कर रहे हैं, तो भूमि में आवश्यक पौष्टिक तत्वों की कमी को पूर्ण करें, जैसे जैविक खाद या अन्य प्रकार की खाद डालें कीटनाशको का निदारण करें, भूमि के PH मान को अंगूर की खेती के अनुसार निश्चित रखें।

भूमि की तीन से चार बार जुताई करके महीने बनाये। साथ ही अंगूर की खेती के लिए उपयुक्त और अनुकूल बलुई मिट्टी का चयन करें।

अंगूर की विभिन्न प्रजातियां का चयन –

वैसे तो अंगूर की खेती में प्रयुक्त होने वाली अंगूर की विभिन्न प्रजातियां मार्केट में उपलब्ध है। लेकिन आप एक ऐसी प्रजाति का चयन करें, जो बड़े आकार, हरे रंग गोलपन, मिठास और ताजगी से भरपूर अंगूर की पैदावार देती हो। साथ ही ऐसी प्रजाति को शामिल करें, जो प्रति एकड़ सर्वाधिक अंगूर का उत्पादन देने में समर्थन हो।

अंगूर की खेती के लिए अंगूर की सही प्रजाति का चयन करना बेहद ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि प्रजाति के आधार पर पैदावार और बाजारी मूल्य निर्धारण होता है। आप दी गई प्रजातियों में से किसी भी प्रजाति का चयन अंगूर की खेती के लिए कर सकते हैं, यह अंगूर की अधिक पैदावार और ताजगी से भरपूर फल प्रदान करने में समर्थन है।

विभिन अंगूर की प्रजातिया जैसे:- थॉम्सन सीडलेस, किशमी थॉम्सन, रेड ग्लोब, सलामीनी, ब्लैक मून, मर्ज, इटलियन अंगूर, ब्लैक सीडलेस इत्यादि।

अंगूर की बुआई और पौधरोपण –

  1. अंगूर की बुवाई का सही समय:- अंगूर की बुवाई का समय विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न हो सकता है। लेकिन ज्यादातर देश के सभी इलाकों में अंगूर की बुवाई मार्च से अप्रैल महीने में शुरू की जाती है। अंगूर की बुवाई के समय पौधों के बीच निश्चित दूरी अंतराल बनाए रखें। ताकि अंगूर के पौधे को फैलने में आसानी हो। बुवाई के समय विभिन्न प्रकार की तकनीक का इस्तेमाल करें और सीधी बुवाई करें।
  2. अंगूर पौधारोपण: अंगूर पौधारोपण का उचित समय बर्फ खत्म होने के पश्चात होता है, अंगूर पौधारोपण में गड्ढे की निश्चित गहराई का मापन करें और स्वस्थ और मजबूत पौधे की रोपाई करें। पौधारोपण के लिए विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल करें और जल संचार और उर्वरक जैसी आवश्यकताओं की पूर्ति करें।

जानिए:- ग्रीनहाउस खेती की जानकारी | GreenHouse Farming in India

पौधों का समर्थन और प्रूनिंग –

अंगूर की खेती में अंगूर के पौधे को समर्थन देने की आवश्यकता होती है। क्योंकि जब पौधा धीरे-धीरे बड़ा होता है, और फल लगने की तैयारी के अंतर्गत पौधे के टूटने और हानि पहुंचाने की संभावना अधिक होती है। इसके कारण आप पौधे को लड़कियों के सारे बांधकर समर्थन प्रदान करें। ताकि पौधा अधिक फल प्रदान कर सके, इसके साथ ही पौधे को प्रूनिंग की भी आवश्यकता होती है। ताकि फलों का आकार संरचना और फल बेहद ही आकर्षक हो।

पौधे की कमजोर स्थिति में पौधे को प्रूनिंग प्रदान करें, ताकि पौधे का विकास तेजी से और अधिक हो, इस प्रकार आप पौधे का समर्थन और प्रूनिंग कर सकते हैं।

अंगूर की सिंचाई और तकनीक –

अंगूर की खेती में पौधों की समय पर और उचित तरीके से सिंचाई करना बेहद आवश्यक है। क्योंकि सिंचाई पर फसल की ग्रोथ और फलों की उत्पादकता निर्भर होती है। सिंचाई के लिए आप पौधों में पानी की कमी की पूर्ति करें, नियमित समय अंतराल के पश्चात अपने मौसम के अनुकूल सिंचाई करें।

सिंचाई के लिए आप आधुनिक सिंचाई तकनीक का इस्तेमाल कर सकते है। इससे पानी की बचत भी देखने को मिलेगी। आधुनिक तकनीक जैसे:- ड्रिप सिंचाई, ट्रिकल सिंचाई, स्मार्ट इरिगेशन सिस्टम्स इत्यादि तकनीक का इस्तेमाल अवश्य करें।

आवश्यक उर्वरक और पोषण –

अंगूर की खेती में तेजी से विकास और पौधों की ग्रोथ के लिए आवश्यक उर्वरक और पोषक तत्वों का होना जरूरी माना जाता है। क्योंकि आवश्यक उर्वरक और पोषक तत्व अंगूर के पौधे को तेजी से विकसित होने और फलों में ताजगी प्रदान करने में मददगार है।

आप पौधे की समय-समय पर देखभाल के पश्चात इनमें उवर्रक और पोषक तत्वों का छिड़काव करें।ताकि फल ताजगी से भरपूर और बड़े आकार के हो। कहीं किसान अधिक पैदावार के लिए भी उर्वरकों और पोषक तत्वों का छिड़काव पौधों करते है।

पौधे की देखभाल –

अंगूर की खेती करने के लिए पौधों की देखभाल करना जरूरी है। समय-समय पर अंगूर की खेती में बुवाई के बाद पौधों की देखभाल करें, ताकि उनमें उत्पन्न होने वाले रोग, कीटनाशक, कीट-पतंग और अन्य प्रकार के रोगों का निर्धारण हो सके। समय-समय पर देखभाल करना उचित माना जाता है, इससे आपके अंगूर के पौधे में आवश्यक उर्वरकों और जैविक तत्वों की कमी और आवश्यक की जानकारी प्राप्त होती है।

देखभाल के कारण आपके पौधे में अच्छी ग्रोथ विभिन्न प्रकार के रोग और कीटनाशकों से बचाव होगा।

अंगूर की खेती में प्रमुख रोग और इलाज –

अंगूर की खेती में किसानों को विभिन्न प्रकार के रोग देखने को मिलते है। अंगूर की खेती में विशेष रूप से होने वाले कुछ रोग इस प्रकार हैं जैसे:- मिल्ड्यू, आंवलेची, अंगूर फुले का प्यूम, ब्लैक रोट, रेड स्पायडर माइट, ग्रेप लीफ रोलर, ग्रेप वाइन रूट नॉट इत्यादि इन रोगों का तुरंत प्रभाव से और समय पर इलाज करना बेहद ही आवश्यक है।

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क्योंकि यह आपके अंगूर की फसल को नष्ट करने और हानि पहुंचाने का कार्य तेजी के साथ करते हैं। इसलिए समय रहते इन लोगों का इलाज जरूर करें ताकि आपके अंगूर की पैदावार अधिक हो।

  1. अंगूर की खेती में होने वाले रोगों के लक्षण:- पौधों की पत्तियां कमजोर होना और धुंधली दिखाई देना। पत्तियों पर काले और सफेद धब्बे होना। पतियों का आकार छोटा होना अंगूर के पौधे में फूल नहीं खिलना अथवा फूलों पर रोग लगाना। पौधे में कमजोरी होना पौधे की ग्रोथ धीमी दिखाना। पौधों की जड़ों में गांठे बनाना और पौधे के विकास में कमी आना।
  2. रोगों के इलाज:- रोगो के इलाज के लिए आप सुल्फर युक्त फंगाइसाइड्स, कॉपर युक्त फंगाइसाइड, प्रुनिंग तकनीक और उचित पोषण, नीम ओयल या माइटिसाइड्स अथवा बैक्टीरियल इंसेक्टिसाइड्स या कीटनाशकों का उपयोग करके भी इन रोगो का निर्धारण किया जा सकता है। आप भी समय पर इन रोगो का इलाज करके अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते है।

अंगूर की बिक्री और बाजारी मार्गदर्शन

अंगूर की खेती पूर्ण रूप से विकसित होने अथवा अंगूर की फसल पकने के पश्चात आप अंगूर की फसल को बाजार में बिक्री के लिए प्रस्तुत कर सकते हैं। बिक्री के लिए आपको बाजारी योजनाएं और बाजारी मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। क्योंकि बाजारी योजनाओं के आधार पर आपको अंगूर की खेती से आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।

बाजारी योजनाओं का निर्माण करके आप फसल की बिक्री करने पर अधिक लाभ कमा सकते हैं। इसके लिए आप अपने नजदीकी बाजार या फिर बड़े बाजारों में अंगूर की फसल की बिक्री करें, अथवा विभिन्न प्रकार की कंपनियां या सुपरमार्केट में भी अपनी फसल की बिक्री करके अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

शहरी क्षेत्र और बजरी क्षेत्र में धरातल पर पहुंचकर अपनी फसल की बिक्री करें, ताकि आपको अधिक लाभ प्राप्त हो। लाभ प्राप्त करने के लिए आप विभिन्न प्रकार की योजनाओं का निर्माण अवश्य करें।

अंगूर की खेती में आर्थिक प्रबंधन

अंगूर की खेती में आर्थिक प्रबंधन की आवश्यकता होती है। आर्थिक प्रबंधन के लिए आप कृषि कार्यों के लिए उपलब्ध होने वाली विभिन्न प्रकार की सरकारी योजनाएं और सरकारी योजनाओं से प्राप्त होने वाली सब्सिडी का फायदा उठा सकते हैं। इन योजनाओं में अप्लाई करके, आप बेहद ही कम ब्याज दरों पर ऋण प्राप्त कर सकते हैं, अंगूर की खेती के लिए आर्थिक प्रबंधन मजबूत होना आवश्यक है।

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अंगूर की खेती में खर्च और मुनाफा

अंगूर की खेती में फलों को पकाने में लगभग 70 से 85 दिनों का समय लगता है। इसके पश्चात अंगूर की फसल पूर्ण रूप से पककर कर बाजार में प्रस्तुत करने के लिए तैयार होती है। इससे पहले अंगूर की फसल में विभिन्न प्रकार के खर्च देखने को मिलते है।

  1. खर्च:- अंगूर की खेती में खर्च की बात करें तो प्रति एकड़ तीन से चार लाख रुपए तक का खर्च देखने को मिलता है।
  2. मुनाफा:- वहीं दूसरी ओर अंगूर के खेती में मुनाफे की बात करें तो प्रति एकड़ पैदावार के अनुसार मुनाफा लगभग तीन से चार लाख रुपए तक मुनाफा होता है।
  3. उत्पादन:- अंगूर के उत्पादन की बात करें तो 1 एकड़ में 10 से 12 टन का उत्पादन होता है यह मुनाफा वर्त्तमान बाजारी मूल्यो पर निर्भर करता है।

नई तकनीक के माध्यम से तैयार अंगूर के पौधों की खेती एक बार लगाने के पश्चात 10 से 15 साल तक फल दे सकते हैं। और इसे वन टाइम इन्वेस्टमेंट भी कहा जाता है। इसके कारण आपको प्रतिवर्ष खर्च कम और मुनाफा अधिक देखने को मिलेगा।

निष्कर्ष (Conclusion):

ऊपर दी गई जानकारी में हमने आपको अंगूर की खेती के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। सर्वप्रथम हमने आपको अंगूर की खेती का महत्व और फायदे इसके पश्चात अंगूर की खेती कैसे करें इससे सम्बंधित जानकारी जैसे:- भूमि का चयन, अंगूर की विभिन्न प्रजातियों का चयन, अंगूर की बुवाई और पौधारोपण, अंगूर का समर्थन, अंगूर की सिंचाई तकनीक।

अंगूर की खेती में आवश्यक उवर्रक और पोषक तत्व, पौधों की देखभाल और अंगूर की खेती में प्रमुख रोग और उनके इलाज। साथ ही अंगूर की बिक्री और बाजार ही मार्गदर्शन और अंगूर की खेती में आर्थिक प्रबंधन खर्च और मुनाफ से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी प्रदान की है।

हम आशा करते हैं, कि आपको अंगूर की खेती के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। जानकारी के अनुसार आप भी अंगूर की खेती करके आसानी से लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं। इस खेती में खर्च और मुनाफा भिन्न-भिन्न स्थानो पर भिन्न-भिन्न हो सकता है।

Sushil Godara

Sushil Godara, an expert in agriculture and insurance, started freelancing as a content writer two years ago. With a passion for crafting engaging content, he recently launched his own website. Sushil's dedication and expertise shine through in his work as he continues to grow in the digital realm.

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