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Most Profitable Crops: इन फसलों की खेती से कमाई होगी लाखों में।

नमस्कार दोस्तों! जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत में सर्वाधिक लोग कृषि क्षेत्र से जुड़े हैं और यह अपनी आजीविका चलाने के लिए प्रतिदिन नए-नए कृषि विचारों की तलाश में रहते हैं। यदि आप भी इस प्रकार के विचार की तलाश में हैं, तो यहां पर हम आपको भारतीय कृषि से जुड़ी कुछ Most Profitable Crops के बारे में बताएंगे। जिनकी खेती करके आप लाखों रुपए का मुनाफा कमा सकते हैं, यह ऐसी फैसले हैं, जिनको विशेष जगह, वातावरण और मिट्टी में उगाया जा सकता है।

लेकिन एग्रीकल्चर से संबंधित टेक्नोलॉजी आगे बढ़ाने के कारण इन फसलों को आप पोली हाउस जैसी तकनीक के माध्यम से किसी भी जगह लगा सकते हैं। और इन फसलों से लाभ कमा सकते हैं, यहां पर हम आपको कुछ ऐसी फसले बताएंगे, जिनको लगाने पर आपको अधिक फायदा देखने को मिलेगा।

तो आईए जानते हैं भारत में सबसे अधिक लाभ देने वाली फसलों के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी।

1. जीरा की खेती, Cumin cultivation

जीरा की खेती सर्वाधिक लाभ देने वाली फसलों यानी Most Profitable Crops से एक है। यदि आप जीरा की खेती करते हैं, तो आपको इसमें लाखों रुपए का मुनाफा देखने को मिलता है, लेकिन जीरे की फसल को बेहद ही अनुकूल परिस्थितियों में उगाया जा सकता है। जीरे की फसल कुछ विशेष स्थान पर देखने को मिलती है जहां पर जीरे की खेती होती है, वह स्थान किसानों के लिए एक वरदान से कम नही, जीरे की फसल में अधिक लागत के साथ मुनाफा भी अधिक देखने को मिलता है।

जीरा का इस्तेमाल –

जीरा एक ऐसी फसल है जिसका इस्तेमाल ज्यादातर मसाले में किया जाता है, इसका इस्तेमाल घर में प्रयुक्त होने वाले मसलो के रूप में होता है। बड़ी-बड़ी मसाला निर्माता कंपनियां वे विदेशी बाजारों में जीरे की मांग अधिक देखने को मिलती है, इस कारण जीरे के भाव में भी हमेशा तेजी रहती है। वर्तमान में जीरे की भाव की बात करें, तो जीरा के भाव 50000 से 60000 रुपये प्रति कुंतल देखने को मिलते हैं। वही जीरा की खेती में अधिक खर्च भी आता है।

जीरा की खेती कैसे करें –

यदि आप जीरे की खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए आप विशेष जगह का चयन करें, इसके लिए बेहद ही पौष्टिक तत्वों वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है। वहीं इस फसल में तीन से चार बार सिंचाई की जाती है, सिंचाई के अंतर्गत पानी के माप का विशेष ध्यान रखा जाता है। अधिक सिंचाई के कारण जीरे की फसल तेजी से खराब होने लगती है, इसके कारण कहीं बाहर किसानों को लाखों रुपए का नुकसान भी देखने को मिलता है।

जीरा की बुवाई –

भारत के अधिकतर राज्यों में जीरे के फसल की बुवाई नवंबर महीने के अंत में शुरू की जाती है। वहीं 90 से 120 दिन में यह फसल पककर तैयार हो जाती है, इसके पश्चात इसकी कटाई करके आप स्थानीय मंडी बाजारों में बेचकर जीरे की फसल से लाभ कमा सकते हैं। जीरे की फसल में जितना मुनाफा देखने को मिलता है इसके विपरीत लगत भी अधिक देखने को मिलती है।

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2. सौंफ की खेती, Fennel cultivation

सौंफ की खेती करना जीरे की खेती करने जितना ही लाभदायक है। क्योंकि यह दोनों ही Most Profitable Crops के अंतर्गत आती है, आप जीरे सौंफ में से किसी भी फसल खेती कर सकते हैं। सौंफ की डिमांड विदेश में सर्वाधिक देखने को मिलती है, इसके कारण ज्यादातर किसान सौंफ की खेती की और अग्रसर हैं। सौंफ की पैदावार की बात करें, तो सौंफ की पैदावार भी अधिक देखने को मिलती है, और ज्यादातर सौंफ की खेती में किसी भी प्रकार के रोग लगने या फसल खराब होने का खतरा नहीं होता। इस कारण सौंफ की खेती किसानों के लिए बेहद ही फायदेमंद है।

सौंफ का इस्तेमाल –

सौंफ का इस्तेमाल जीरा की तरह विभिन्न प्रकार के मसलों में किया जाता है, वहीं दूसरी ओर इसका उपयोग होटलों, रेस्टोरेंट आदि जगहों पर भी किया जाता है। विदेश में लगातार ग्रीन सौंफ की मांग बढ़ती नजर आ रही है इस कारण ज्यादातर लोग सौंफ की खेती की और आकर्षक है।

सौंफ की वर्त्तमान कीमत –

सौंफ के फसल की कीमत की बात करें, तो इसके भाव 15000 से 25000 रुपये प्रति कुंतलके मध्य देखने को मिलते हैं, वही इसकी पैदावार काफी अधिक मात्रा में होती है। सौंफ का उत्पादन प्रति बीघा 4 से 5 कुंतल देखने को मिलते है, अधिक उपजाऊ जमीन होने पर यह पैदावार अधिक देखने को मिल सकती है।

सौंफ की खेती कैसे करें –

सौंफ की खेती करने के लिए आपको जीरे की तरह ज्यादा उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती। इसके लिए आप साधारण मिट्टी में भी खेती कर सकते हैं, वही जीरे की फसल के विपरीत सौंफ की फसल में अधिक पानी की आवश्यकता होती है, इसमें लगभग 8 से 9 बार सिंचाई की जाती है, जिस कारण फसल की पैदावार अधिक देखने को मिलती है।

वही सौंफ की फसल में किसी भी प्रकार के कीटनाशक या फिर दवाइयां का इस्तेमाल ज्यादातर नहीं किया जाता, इस कारण इसकी फसल में खर्च भी जीरे के मुकाबले बेहद ही काम देखने को मिलता है।

सौंफ की बुवाई –

सौंफ की फसल की बुवाई अक्टूबर महीने के भीतर की जाती है। सौंफ को पकाने में 5 से 6 महीना का समय लगता है। इसके बाद सौंफ की कटाई करके स्थानीय मंडी बाजारों में बेचकर आप अधिक लाभ कमा सकते हैं। सौंफ की खेती के लिए प्रति हेक्टर 5 से 6 किलो बीजों की आवश्यकता होती है, और यह आसानी से आपको बाजार में उपलब्ध हो सकते हैं।

3. लहसुन की खेती, Farming of garlic

लहसुन की खेती करना किसानों के लिए एक लाभकारी कार्य है, यदि किसान लहसुन की खेती करना चाहते हैं। तो किसान कम जमीन में अधिक फायदा देख सकते हैं, ज्यादातर लहसुन की खेती एक हेक्टर से कम जमीन में की जाती है, और इसकी पैदावार अधिक होने के कारण किसानों को अधिक लाभ देखने को मिलता है। यदि आप भी लहसुन की खेती करना चाहते हैं, तो इसकी खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को जरूर ध्यान रखें।

लहसुन का इस्तेमाल –

लहसुन का इस्तेमाल हमारे दैनिक दिनचर्या में पूर्ण रूप से होता है। ज्यादातर घरों में लहसुन का उपयोग सब्जी में किया जाता है, वही लहसुन से विभिन्न प्रकार के दवाइयां और कई प्रकार के जूस का निर्माण भी किया जाता है। लहसुन की डिमांड दिन प्रतिदिन बढ़ती हुई नजर आ रही है, क्योंकि इसकी मांग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर दोनों पर है। लहसुन हमारे भोजन का एक बुनियादी हिस्सा भी है, इस कारण इसकी मांग साल भर देखने को मिलती है।

लहसुन की वर्तमान कीमत –

लहसुन की वर्तमान कीमत की बात करें तो लहसुन की वर्तमान कीमत 20000 से 25000 रुपए प्रति क्विंटल है, और इसकी पैदावार एक बीघा के अंतर्गत 8 से 10 कुंतल तक होती है। जिस कारण इसकी खेती से आप एक हेक्टर से लाखों रुपए का मुनाफा आसानी से कमा सकते हैं।

लहसुन की खेती कैसे करें –

लहसुन की खेती की बात करें, तो इसके लिए अधिक उपजाऊ और मुलायम मिट्टी की आवश्यकता होती है। मिट्टी के PH मान का स्तर भी सामान्य होना चाहिए, वही लहसुन की खेती में सिंचाई भी अधिक देखने को मिलती है। अधिक सिंचाई के कारण लहसुन की फसल बड़ी और आकर्षक होती है। साथ ही लहसुन की फसल में समय-समय पर विभिन्न प्रकार की कीटनाशक दवाइयां और जैविक खाद जैसे उवरको का इस्तेमाल करने से बम्पर पैदावार होती है।

लहसुन की बुवाई –

लहसुन की बुवाई की बात करें तो लहसुन की बुवाई अक्टूबर से नवंबर महीने के मध्य की जाती है। इसकी बुवाई मे बड़े आकार की कलियों का उपयोग किया जाता है। 5 से 6 कुंतल प्रति हेक्टर कलियों का इस्तेमाल करके, लहसुन की बुवाई की जाती है। लहसुन की बुवाई में कतारों के बीच 8 से 10 सेंटीमीटर की दूरी रखी जाती है, ताकि लहसुन के पौधे को फैलने में आसानी हो, अच्छी पैदावार के लिए आप उच्च क्वालिटी के लहसुन की बुवाई कर सकते हैं।

जिसमें आपके प्रति हेक्टर अधिक पैदावार देखने को मिले, वहीं 4 से 5 महीना के भीतर लहसुन की फसल तैयार हो जाती है। इसके बाद इसके कंद को जमीन से निकाल कर अच्छी तरह साफ करके मार्केट में बेचने के लिए उपलब्ध कराया जाता है।

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4. ईसबगोल की खेती, Isabgol cultivation

Most Profitable Crops के अंतर्गत आप ईसबगोल की खेती भी कर सकते हैं। ईसबगोल की फसल की खेती करना बेहद ही आसान है, और इसकी खेती से होने वाली कमाई भी कहीं गुना अधिक है। क्योंकि ईसबगोल की खेती में ईसबगोल की फसल की बंपर पैदावार देखने को मिलती है, जिसके कारण इससे होने वाली कमाई भी अधिक होती है, आप भी ईसबगोल की खेती करके आसानी से ग्रामीण क्षेत्र में लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं, लेकिन ईसबगोल की खेती के भीतर फसल पकने के दौरान बारिश का खतरा अधिक देखने को मिलता है।

इसबगोल पकने के दौरान बारिश होने पर ईसबगोल की संपूर्ण फसल नष्ट हो हो सकती है, जिसके कारण कई बार किसानों को लाखों रुपए का नुकसान देखने को मिलता है।

इसबगोल का इस्तेमाल –

वर्तमान समय में इसबगोल का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार की दवाइयां बनाएं बनाने के लिए किया जाता है, वही इसबगोल का इस्तेमाल देशी दवाइयो के भीतर भी किया जाता है। बड़ी-बड़ी दवा निर्माता कंपनियां ईसबगोल की खरीददारी करके दावोंऔ का निर्माण करती है। जिसके कारण देश सहित विदेशों में भी ईसबगोल की डिमांड तेज देखने को मिलती है, इसी कारण इसबगोल की कीमत में भी तेजी देखी जाती है।

ईसबगोल की वर्तमान कीमत –

ईसबगोल की वर्तमान कीमत की बात करें, तो पिछले सालों के मुकाबले इस साल ईसबगोल की कीमत दोगुनी देखने को मिली है, ज्यादातर ईसबगोल की कीमत 20000 से 25000 रुपये प्रति क्विंटल तक देखने को मिली है लेकिन उच्चतम क्वालिटी की ईसबगोल की कीमत 25000 रुपए से अधिक देखी गई।

ईसबगोल की खेती कैसे करें –

ईसबगोल की खेती के बारे में विचार करें, तो ईसबगोल की खेती के लिए जीरे की खेती की तरह मिट्टी की आवश्यकता होती है। मिट्टी सामान्य से थोड़ी उपजाऊ होनी चाहिए, वही रेतीली वे काली मिट्टी के भीतर ईसबगोल की खेती अच्छी देखने को मिलती है। ईसबगोल की खेती में भी 3 से 4 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है।

अधिक मात्रा में सिंचाई करने पर ईसबगोल की फसल खराब हो सकती है। समय-समय पर ईसबगोल की फसल में कीटनाशक दवाइयां का इस्तेमाल भी जरूर करें, इससे आपकी पैदावार अधिक देखने को मिलेगी।

इसबगोल की बुवाई –

इसबगोल के बुवाई का कार्य जीरे की फसल के साथ नवंबर महीने के मध्य किया जाता है, वहीं 4 महीने के भीतर ईसबगोल की फसल पककर तैयार हो जाती है। इसके पश्चात ईसबगोल की फसल की कटाई करके इसे अच्छी तरह सुखाकर नजदीकी मंडियों या बाजार में बेचने के लिए तैयार किया जाता है, इस प्रकार आप ईसबगोल की खेती करके अधिक पैदावार प्राप्त करके लाखों रुपए का मुनाफा कमा सकते हैं।

इसबगोल का उत्पादन –

इसबगोल के उत्पादन की बात करें, तो इसबगोल का उत्पादन प्रति हेक्टर 14 से 15 कुंतल देखने को मिलता है। अधिक उत्पादन के कारण ईसबगोल की फसल की पैदावार भी तेज देखने को मिलती है, वहीं दूसरी ओर कीमत में तेजी के कारण इसकी खेती से किसान लाखों रुपए की कमाई आसानी से कर सकते हैं।

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निष्कर्ष (Conclusion)

ऊपर दी गई विस्तृत जानकारी के अंतर्गत हमने आपको मोस्ट प्रॉफिटेबल क्रॉप्स के बारे में बताया। सर्वप्रथम हमने आपको जीरा की खेती की संपूर्ण जानकारी दी। इसके पश्चात सौंफ की खेती, लहसुन की खेती और ईसबगोल की खेती से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराई। इन फसलों की खेती करके आप आसानी से लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं, क्योंकि इन फसलों की बंपर पैदावार देखने को मिलती है, जिसके कारण मुनाफा भी अधिक होता है।

हम आशा करते हैं कि आपको मोस्ट प्रॉफिटेबल क्रॉप्स के बारे में संपूर्ण जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से प्राप्त हो गई होगी। आप इन फसलों की खेती करके आसानी से लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं, फसलों की पैदावार और कमाई भिन्न स्थानों पर जलवायु और वातावरण के कारण अलग-अलग हो सकती है।

तो आज ही शुरू करें ईसबगोल की खेती और बनाएं लाखों रुपए का मुनाफा! 🌱💰

Sushil Godara

Sushil Godara, an expert in agriculture and insurance, started freelancing as a content writer two years ago. With a passion for crafting engaging content, he recently launched his own website. Sushil's dedication and expertise shine through in his work as he continues to grow in the digital realm.

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